Thursday, 22 December 2016

गुड न्यूज:- फिक्सपगर्दारो 1 जान्युआरि ये गजवशे गांधीनगर, महारैली अने सम्मलेन माटे मली मजूरी जुआ ऑफिशियल कोर्ट नो आदेश

कर्मचारियों के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण एवं स्वागत योग्य आदेश जारी किया है। माननीय न्यायालय का कहना है कि यदि राज्य सरकार ने उसे वेतन दिया है तो वो उसका कर्मचारी हुआ। संविदा या कोई दूसरा नाम देकर उसे अस्थाई करार नहीं दिया जा सकता। यदि यह आदेश एप्लिकेबल हुआ तो देश भर में कोई भी कर्मचारी अस्थाई नहीं रहेगा। 
राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्थाई कर्मचारियों के बारे में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत पदों के लिए नियमित भर्ती प्रक्रिया अपनाते हुए चयनित कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश में केवल संविदा पर लिख देने से वे अस्थाई नहीं हो जाते।ऐसे कर्मचारियों को प्रतिमाह फिक्स सैलेरी देना व उनकी सेवाओं को नियमित नहीं करना असवैंधानिक नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के कर्नाटक बनाम उमादेवी मामले में पारित अंतिम निर्णय का पालन करना सरकार के लिए ओब्लिगेशन है। इसलिए याचिकाकर्ता सहित उसके समान अन्य को तीन माह में सरकार नियमित करे। यह आदेश वरिष्ठ न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने याचिकाकर्ता बीकानेर निवासी यशवंत सिंह कि ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।

राज्य वेतन समिति की सिफारिशों पर प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह फायदा मिलेगा। सरकार ने राज्य के कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर लिए गए निर्णय के आधार पर लागू वेतन मैट्रिक्स, वेतन निर्धारण, पदोन्नति पर वेतन निर्धारण व वार्षिक वेतनवृद्धियों की व्यवस्था स्वीकार की है।

साथ ही तय किया है कि राजकीय पेंशनरों को पेंशन, ग्रेच्युटी, पेंशन राशिकरण, पारिवारिक पेंशन, महंगाई राहत आदि एक जनवरी से उसी तरह दी जाएंगी जैसे केंद्र सरकार द्वारा अपने पेंशनरों व पारिवारिक पेंशनरों को दी गई है।
10, 16, 26 साल पर मिलती रहेगी एसीपी
प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मियों को पुनरीक्षित वेतनमानों में 10 वर्ष, 16 वर्ष व 26 वर्ष की सेवा पर सुनिश्चित कॅरिअर प्रोन्नयन (एसीपी) का लाभ मिलेगा। वर्तमान में मिल रहे विभिन्न प्रकार के भत्ते व सुविधाएं नए वेतनमानों में पुरानी दरों पर मिलती रहेंगी। केंद्र सरकार ने अभी तक भत्तों के बारे में निर्णय नहीं किया है। लिहाजा प्रदेश भी इस पर अभी विचार नहीं कर पाया है।
इन्हें शर्तों के साथ लाभ
नगरीय स्थानीय निकायों, जल संस्थानों, जिला पंचायतों, विकास प्राधिकरणों के कार्मिकों को नई वेतन मैट्रिक्स, वेतन निर्धारण, वार्षिक वेतन वृद्धि व महंगाई भत्ते आदि का लाभ राज्य कर्मचारियों की तरह मिलेगा। लेकिन इसके लिए वर्तमान में दी जा रही राशि के अलावा सरकार कोई अतिरिक्त सहायता नहीं देगी।
स्वशासी संस्थाओं व सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों के कर्मियों को भी नई वेतन मैट्रिक्स, वेतन निर्धारण, वार्षिक वेतन वृद्धि व महंगाई भत्ते आदि का लाभ राज्य कर्मचारियों की तरह मिलेगा। लेकिन वेतन व भत्तों आदि के मद में जितने प्रतिशत का अंश दिया जा रहा है, उसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
सार्वजनिक उपक्रमों व निगमों के कार्मिकों को नई वेतन मैट्रिक्स, वेतन निर्धारण, वार्षिक वेतन वृद्धि व महंगाई भत्ते आदि का लाभ राज्य कर्मचारियों की तरह मिलेगा। लेकिन सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा पूर्व में निर्धारित शर्तों व प्रतिबंधों का पालन करते हुए दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार कोई अतिरिक्त सहायता नहीं देगी।
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