गुजरात विश्वविद्यालय राज्यव्यापी संस्थान है जिससेभारत के गुजरात राज्य के कई प्रतिष्ठित कॉलेज सम्बद्ध (affiliated) हैं। इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं मान्यता परिषद(एनएएसी) (National Assessment and Accreditation Council (NAAC)) द्वारा बी++ रैंकिंग दी गई है। यह भारत के सबसे श्रेष्ठ और बहुमुखी उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है। इसके अलावा, यह अपने कैंपस (परिसर) के 2,24,000 से अधिक छात्रों और विभिन्न संबद्ध कॉलेजों के साथ उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय प्रणालियों में से एक है। यह विशेष रूप से अपनी चिकित्सा, इंजीनियरिंग व टैक्नोलॉजी, फार्मेसी, वाणिज्य और प्रबंधन कॉलेजों के लिए प्रसिद्ध है। विश्वविद्यालय पोर्ट मैनेजमैंट, नैनो प्रौद्योगिकी, टिशु कल्चर में क्षेत्रीय/विशेष कार्यक्रम चलाता है।
गुजरात विश्वविद्यालय की कल्पना उन्नीस सौ बीस के दशक में गांधी जी, सरदार पटेल, आचार्य आनंदशंकर बी. ध्रुव, दादा साहेब मावलंकर और कस्तूरभाई लालभाई जैसे सार्वजनिक उत्साही और समझदार लोगों ने की थी। विश्वविद्यालय की स्थापना भारत की आजादी के बाद की गई थी। 1949 में, राज्य सरकार के गुजरात विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत शिक्षण और मान्यता प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय के रूप में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। इसकी स्थापना तत्कालीन बंबई प्रांत के विकेन्द्रीकरण और विश्वविद्यालय में शिक्षा के पुनर्गठन के एक उपाय के रूप में की गई थी। अपने जीवन काल के दौरान, विश्वविद्यालय ने ऐसे अनेक विश्वविद्यालयों को स्थापित होते देखा है जिनका निर्माण गुजरात विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार से हुआ है, जैसे, फिर भी, गुजरात विश्वविद्यालय 235 कॉलेजों, 15 मान्यता प्राप्त संस्थानों और 24 स्वीकृत संस्थानों में फैले 200000 से अधिक छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाला राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। यहां 34 से अधिक स्नातकोत्तर विश्वविद्यालय विभाग और 221 पी. जी. केन्द्र हैं। अंडर ग्रेजुएट स्तर पर गुजरात विश्वविद्यालय एक सम्बद्ध (affiliating) विश्वविद्यालय है, जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर यह अध्यापन विश्वविद्यालय है। निःसंदेह, स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय को सांविधिक जिम्मेदारी दी गई है और तदनुसार कुशल और विविध अनुदेश सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अंतर्गत समन्वित शिक्षा की एक योजना विकसित की गई है। इस विश्वविद्यालय की एक महत्वपूर्ण सुविधा स्नातक और स्नातकोत्तर, स्तर पर आर्ट्स और कॉमर्स दोनों संकायों में बाह्य परीक्षा प्रणाली है। बाह्य परीक्षाएं कामकाजी छात्रों तथा अन्य लोगों, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय की उच्च शिक्षा का खर्चा वहन नहीं कर सकते, की मदद के उद्देश्य से शुरू की गईं थीं। अपनी स्थापना के बाद से ही गुजरात विश्वविद्यालय ने अलग हट कर अपनी पहचान स्थापित की है जिसके कारण वर्तमान में पूरे देश में यह एक प्रमुख विश्वविद्यालय के तौर पर जाना जाता है। यह लगभग 2,00,000 से भी अधिक छात्रों को शिक्षा के लिए विषयों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।
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गुजरात विश्वविद्यालय की कल्पना उन्नीस सौ बीस के दशक में गांधी जी, सरदार पटेल, आचार्य आनंदशंकर बी. ध्रुव, दादा साहेब मावलंकर और कस्तूरभाई लालभाई जैसे सार्वजनिक उत्साही और समझदार लोगों ने की थी। विश्वविद्यालय की स्थापना भारत की आजादी के बाद की गई थी। 1949 में, राज्य सरकार के गुजरात विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत शिक्षण और मान्यता प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय के रूप में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। इसकी स्थापना तत्कालीन बंबई प्रांत के विकेन्द्रीकरण और विश्वविद्यालय में शिक्षा के पुनर्गठन के एक उपाय के रूप में की गई थी। अपने जीवन काल के दौरान, विश्वविद्यालय ने ऐसे अनेक विश्वविद्यालयों को स्थापित होते देखा है जिनका निर्माण गुजरात विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार से हुआ है, जैसे, फिर भी, गुजरात विश्वविद्यालय 235 कॉलेजों, 15 मान्यता प्राप्त संस्थानों और 24 स्वीकृत संस्थानों में फैले 200000 से अधिक छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाला राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। यहां 34 से अधिक स्नातकोत्तर विश्वविद्यालय विभाग और 221 पी. जी. केन्द्र हैं। अंडर ग्रेजुएट स्तर पर गुजरात विश्वविद्यालय एक सम्बद्ध (affiliating) विश्वविद्यालय है, जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर यह अध्यापन विश्वविद्यालय है। निःसंदेह, स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय को सांविधिक जिम्मेदारी दी गई है और तदनुसार कुशल और विविध अनुदेश सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अंतर्गत समन्वित शिक्षा की एक योजना विकसित की गई है। इस विश्वविद्यालय की एक महत्वपूर्ण सुविधा स्नातक और स्नातकोत्तर, स्तर पर आर्ट्स और कॉमर्स दोनों संकायों में बाह्य परीक्षा प्रणाली है। बाह्य परीक्षाएं कामकाजी छात्रों तथा अन्य लोगों, जो अपने सपने को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय की उच्च शिक्षा का खर्चा वहन नहीं कर सकते, की मदद के उद्देश्य से शुरू की गईं थीं। अपनी स्थापना के बाद से ही गुजरात विश्वविद्यालय ने अलग हट कर अपनी पहचान स्थापित की है जिसके कारण वर्तमान में पूरे देश में यह एक प्रमुख विश्वविद्यालय के तौर पर जाना जाता है। यह लगभग 2,00,000 से भी अधिक छात्रों को शिक्षा के लिए विषयों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।
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