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2014 में प्रथम विश्व युद्ध की घटना के 100 साल पूरे हो गए। इसने पुनः विश्व व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। समकालीन विश्व व्यवस्था में कई तरह के उथल-पुथल जारी हैं। इनमें से कई का संबंध वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं से भी है। वैश्वीकरण ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर करने में अपनी भूमिका निभाई है। लोगों एवं राज्यों की विविधता एवं परस्पर विरोधी हितों एवं मूल्यों के बावजूद भी यह तेजी से एकीकरण एवं अंतर्संबद्धता के लिए दबाव डाल रहा है। परिणामस्वरूप देशों एवं सरकारों तथा सरकारों एवं उनके नागरिकों के बीच विश्वास का स्तर चिंताजनक रूप से कम होता जा रहा है। इससे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं समृद्धि को भी खतरा पहुँच सकता है।
2014 में प्रथम विश्व युद्ध की घटना के 100 साल पूरे हो गए। इसने पुनः विश्व व्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। समकालीन विश्व व्यवस्था में कई तरह के उथल-पुथल जारी हैं। इनमें से कई का संबंध वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं से भी है। वैश्वीकरण ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर करने में अपनी भूमिका निभाई है। लोगों एवं राज्यों की विविधता एवं परस्पर विरोधी हितों एवं मूल्यों के बावजूद भी यह तेजी से एकीकरण एवं अंतर्संबद्धता के लिए दबाव डाल रहा है। परिणामस्वरूप देशों एवं सरकारों तथा सरकारों एवं उनके नागरिकों के बीच विश्वास का स्तर चिंताजनक रूप से कम होता जा रहा है। इससे अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं समृद्धि को भी खतरा पहुँच सकता है।
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